Wednesday, 1 May 2019

अवसरवाद

आप सोचेंगे
कवियों पर डेडलाइन का बोझ नहीं
पर उन्हें भी
शुष्क शहर में हुई
एक कमज़ोर, टपकती बारिश को
निचोड़ लेना पड़ता है
अकालग्रस्त आश्वस्त नहीं हो सकता
दोबारा सरकारी हेलिकौप्टर वहीं से गुज़रेगा
वो और कवि
दोनों आश्वस्त नहीं हो सकते
उनके आसमान में फिर बादल मँडराएँगे
और वे उस पक्षाघाती दुख के न होंगे
जिसमें न पकड़ी जाएगी कलम,
न उठा ही सकेंगे
राहत सामग्री


First published in Jankipul, 12 Mar 2019.




No comments:

Powered By Blogger

FOLLOWERS

Blogger last spotted practising feminism, writing, editing, street theatre, aspirational activism.