सपाट चेहरा लिए बैठी रही वो
उसकी सहेली बेतहाशा बोलती रही
उसके टूटे दाँत के बारे में,
जैसे महज़ एक दाँत के खत्म होने से
रिश्ता भी खत्म हो जाता हो.
उसकी सहेली बेतहाशा बोलती रही
उसके टूटे दाँत के बारे में,
जैसे महज़ एक दाँत के खत्म होने से
रिश्ता भी खत्म हो जाता हो.
हो जाती है कभी दो बात, दो लोगों के बीच,
पर आप शादी को खेल नहीं बना देते
मतभेद होते हैं,
और सुलझ भी जाते हैं.
पर आप शादी को खेल नहीं बना देते
मतभेद होते हैं,
और सुलझ भी जाते हैं.
सहेली दिल की अच्छी सही, पूरी पागल थी,
गुस्सा इतना तेज़, कहती जवाब में उसे भी
पति का दाँत तोड़ डालना चाहिए था.
ये भी कोई बात हुई? उसने सुना नहीं क्या,
आँख के बदले आँख पूरी दुनिया को अंधा बना डालेगी?
गुस्सा इतना तेज़, कहती जवाब में उसे भी
पति का दाँत तोड़ डालना चाहिए था.
ये भी कोई बात हुई? उसने सुना नहीं क्या,
आँख के बदले आँख पूरी दुनिया को अंधा बना डालेगी?
अपने पति के साथ वो ऐसा क्यों करना चाहेगी
अपनी मुश्किलें और क्यों बढ़ाना चाहेगी?
फिर वो कैसे खाया करेगा, चबाया करेगा,
खाने में मिली हुई पिसी काँच?
अपनी मुश्किलें और क्यों बढ़ाना चाहेगी?
फिर वो कैसे खाया करेगा, चबाया करेगा,
खाने में मिली हुई पिसी काँच?
First published in Samalochan, 11 Nov 2017.
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