'Only connect the prose and the passion, and both will be exalted.'
चाचा ग़ालिब ऐसी गुमगुसारी पर कुछ इस तरह फरमा गए हैं --दर्द से मेरे है तुझको बेक़रारी हाय-हायक्या हुई ज़ालिम तेरी ग़फ़लतशियारी हाय-हायतेरे दिल में गर न था आशूब-ए-ग़म का हौसलातू ने फिर क्यूँ की थी मेरी ग़म-गुसारी हाय-हाय
....the path of life death...
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चाचा ग़ालिब ऐसी गुमगुसारी पर कुछ इस तरह फरमा गए हैं --
दर्द से मेरे है तुझको बेक़रारी हाय-हाय
क्या हुई ज़ालिम तेरी ग़फ़लतशियारी हाय-हाय
तेरे दिल में गर न था आशूब-ए-ग़म का हौसला
तू ने फिर क्यूँ की थी मेरी ग़म-गुसारी हाय-हाय
....the path of life death...
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