एक पत्रकार की मौत
तुम्हारे
लिए ज़रूरी हो गई
क्योंकि
तुम्हारे हिसाब से
वो
अपने क़द से ऊपर
उठने की कोशिश कर रहा था।
पर
अगर वो इतना ही गौण होता
तो
तुम्हें ना दिखता,
ना
तुम्हारी नज़र में चुभता
और
अगर तुम इतने ही ऊँचे होते,
तो
उसी की लाश पर अपने डगमगाते क़दम
रख
तुम्हें
उचक कर नज़र में आने की
मशक़्क़त
ना करनी पड़ती।
First published in Indian Cultural Forum, 9 Dec 2016.
1 comment:
कहीं से चलता हुआ आज यहाँ आ पहुँचा। नुक़्ता-चीनी के लिए माफ़ी, लेकिन कुछ सलाह है जो ज़ाहिर है बिन-माँगी और ग़ैर-ज़रूरी है लेक़िन फिर भी दिए देते हैं-
1. क़द (नाकि कद)
2. ना तुम्हारी नज़र में चुभता। (phonetically थोड़ा बेहतर मालूम होता है)
3. क़दम (नाकि कदम)
4. मशक़्क़त (नाकि मशक्कत)
ग़ुस्ताख़,
अमित
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