Sunday, 19 November 2017

अंधकक्ष

डिजिटल दुनिया में सुशोभित हैं अनेकों 
कर्मठ
 समाजसेवीसंवेदनशील कलाकारनिडर लेखकभावुक शिक्षक,
ज्ञान
 से लैसप्रेरणा देतेइंसानियत पर भरोसा कायम रखते,
सब
 एक से एक अनूठे.
फिर इनमें से कुछ पधारते हैं इनबौक्स में,
दिखने
 लगती हैं धीरे-धीरे समानताएँ इनकी 
एक
 बक्स में 
बंद
 एक से चूहे नज़र आते हैं ये,
जिस
 गुल डब्बे में बने छोटे छेदों से 
रोशनी
 पहुँचती है उन तक 
उजागर
 करती है उनकी सोच 
उस
 छेद के माप की.
कुछ अँधेरे कमरे 
नेगेटिव
 को उभार नहीं पाते 
पौज़िटिव
 में,
पर
 दिखला देते हैं 
उनकी
 एक साफ़ झलक.

First published in Samalochan, 11 Nov 2017.



No comments:

Post a Comment