मेरी एक गुड़िया थी.
वो मेरी हर बात मानती थी.
मैं मम्मी की गुड़िया थी.
मम्मी कहतीं, “बात मान ले, तू मेरी गुड़िया है ना.”
मैं गुड़िया थोड़े ही ना हूँ.
मैंने अपनी गुड़िया से कह दिया,
उसे मेरे साथ खेलने की ज़रूरत नहीं.
वो जो चाहे कर सकती है.
अब वो दिन भर खिड़की पर बैठ मुस्कुराते हुए आसमान देखती है.
अब वो किसी की गुड़िया नहीं.
'the more you shall honor Me,
ReplyDeletethe more I shall bless you'
-the Infant Jesus of Prague