'Only connect the prose and the passion, and both will be exalted.'
This comment has been removed by the author.
अच्छा है… अमीर मीनाई साहेब कह गए हैं - हमारे और तुम्हारे प्यार में बस फ़र्क है इतना, इधर तो जल्दी जल्दी है उधर आहिस्ता-आहिस्ता
क्या यह शेर अमीर मीनाई साहब का ही है
I read this over, and over again. As true as it is, also wondered if anyone crosses that threshold of incredulity. Including ourselves :)
नहीं।
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteअच्छा है… अमीर मीनाई साहेब कह गए हैं - हमारे और तुम्हारे प्यार में बस फ़र्क है इतना, इधर तो जल्दी जल्दी है उधर आहिस्ता-आहिस्ता
ReplyDeleteक्या यह शेर अमीर मीनाई साहब का ही है
DeleteI read this over, and over again. As true as it is, also wondered if anyone crosses that threshold of incredulity. Including ourselves :)
ReplyDeleteनहीं।
ReplyDelete