Sunday, 12 November 2017

आवरण

मैं ठीक नहीं समझती 
तुम्हें ज़्यादा कुछ मालूम पड़े 
इस बारे में कि तुमसे मुझे कहाँकैसे और कितनी 
चोट लग सकती है.  

बस डबडबाई आँखों से तुम्हें देखूँगी 
जब मेरे होठ जल जाएँ,
तुमसे खिन्न सवाल करूँगी,
"क्यों इतना गर्म प्याला मुझे थमा दिया,
जब तुम्हें पता है मैं चाय ठंडी पीती हूँ?"

First published in Samalochan, 11 Nov 2017.



4 comments:

  1. वाह...
    "क्यों इतना गर्म प्याला मुझे थमा दिया,
    जब तुम्हें पता है मैं चाय ठंडी पीती हूँ?"
    सादर

    ReplyDelete
  2. Dhanyawad Yasoda ji. Aapne marm ko khoob samjha.

    ReplyDelete