मैं ठीक नहीं समझती
तुम्हें ज़्यादा कुछ मालूम पड़े
इस बारे में कि तुमसे मुझे कहाँ, कैसे और कितनी
चोट लग सकती है.
बस डबडबाई आँखों से तुम्हें देखूँगी
जब मेरे होठ जल जाएँ,
तुमसे खिन्न सवाल करूँगी,
"क्यों इतना गर्म प्याला मुझे थमा दिया,
जब तुम्हें पता है मैं चाय ठंडी पीती हूँ?"
bahut achcha likha apne.
ReplyDeletePadhne ke liye dhanyawad.
ReplyDeleteवाह...
ReplyDelete"क्यों इतना गर्म प्याला मुझे थमा दिया,
जब तुम्हें पता है मैं चाय ठंडी पीती हूँ?"
सादर
Dhanyawad Yasoda ji. Aapne marm ko khoob samjha.
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